सफाई कर्मचारी भर्ती परीक्षा को लेकर फिर से नया विवाद शुरू हो गया है अब जो है नया मोड़ आ गया है कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री भी अब कुछ नहीं कर सकते
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाह कर भी इस भर्ती परीक्षा में वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता नहीं दे सकता क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का कहना है और संविधान का कहना है कि 50% से ज्यादा रिजर्वेशन नहीं होगा इसमें बदलाव केवल लोकसभा राष्ट्रपति अध्यक्ष कर सकते हैं
सफाईकर्मियों की भर्ती पर विवाद
राज्य में 13184 पदों पर 16 मई से भरे जाने थे आवेदन, सरकार ने विवाद को देख भर्ती प्रक्रिया ही निरस्त कर दी
वाल्मीकि समाज ने भर्ती में आरक्षण हटाने की मांग उठाई, विधि विशेषज्ञ बोले- बदलाव संभव नहीं
2018 में 11 हजार पदों की भर्ती के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते बजट में 30 हजार सफाई कर्मचारियों के पदों की भर्ती का एलान किया था। स्वास्थ्य शासन विभाग ने सिर्फ 13184 पदों पर ही भर्ती निकाली। भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया का एलान होते ही वाल्मीकि समाज विरोध में उतर गया। मांग की कि यहां आरक्षण पद्धति खत्म कर सारे पद वाल्मीकि समाज से भरे जाएं। दबाव में सरकार ने भर्ती प्रक्रिया ही निरस्त कर दी
8 फरवरी को मुख्यमंत्री ने सफाईकर्मचारियों के 30 हजार पदों पर भर्ती करने का एलान किया था। 21 अप्रैल को डीएलबी डायरेक्टर प्रदेश के 176 निकायों में 13184 पदों के लिए भर्ती निकाली। इसमें बीकानेर नगर निगम में 121, नोखा में 102, श्रीडूंगरगढ़ में 129 और देशनोक 46 पदों की भी भर्ती की मंजूरी शामिल थी। 16 मई से आवेदन शुरू होने थे लेकिन सफाई कर्मचारी यूनियन और वाल्मीकि समाज ने आंदोलन शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि ये काम वाल्मीकि समाज ही करता है इसलिए यहां आरक्षण प्रक्रिया हटाई जाए और सारे पद वाल्मीकि से भरे जाएं। जयपुर में आंदोलन शुरू हुआ तो दबाव में सरकार ने 26 अप्रैल को भर्ती प्रक्रिया ही रोकने के आदेश जारी कर दिए। अब वाल्मीकि समाज कह रहा कि सरकार ने सहमति दी है कि भर्ती में वाल्मीकि समाज को खास तवज्जो दी जाएगी तभी भर्ती होगी। करे। दूसरी माँग थी कि जो अन्य समाज के लोग आवेदन कर रहे उनसे पहले 15 दिन सफाई कराई जाए तब उनके आवेदन मान्य हो। आंदोलन का फायदा सरकार ने उठाया और भर्ती रोक दी। संभव है सरकार इनकी भर्ती प्रक्रिया वापस शुरू ही ना करे। मैं भी समझ रहा हूं कि सरकार को निर्धारित से ज्यादा आरक्षण देना मुश्किल होगा। परंपराओं के आधार पर हमने मांग की है कि लेकिन कानूनी दायरे में ये संभव मुझे भी नहीं लगता लेकिन हमने ये भी मांग उठाई है कि अन्य समाज के लोग जो भर्ती होते हैं तो वो वाल्मीकि समाज के साथ झाड़ू पकड़कर सफाई करें। सरकार एओजी सिस्टम बंद कराए और किसी समाज का व्यक्ति भर्ती होता है तो वो सफाई : शिवलाल तेजी, वाल्मीकि समाज प्रतिनिधि
सीएम नहीं बदल सकते आरक्षण प्रक्रिया विधि विशेषज्ञ
भले ही वाल्मीकि समाज को सरकार ने ये आश्वासन दिया हो कि सफाई कर्मचारियों के पदों की भर्ती में वाल्मीकि समाज को खास तवज्जो दी जाएगी लेकिन संविधान और कानून के जानकारों का कहना है कि आरक्षण प्रक्रिया में बदलाव का अधिकार सीएम के पास नहीं है। न्यायालय का ही निर्णय है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं बढ़ाया जा सकता। अगर सरकार वाल्मीकि समाज को अनुसूचित जाति कैटेगरी से ज्यादा आरक्षण देकर पदों को भर्ती है तो कोर्ट में चुनौती दिया जा सकता है और भर्ती पर रोक लग सकती है। क्योंकि संविधान और कानून से ऊपर कोई नहीं। परंपराओं के आधार सरकारी पदों पर भर्तियां नहीं होती। भर्ती कानून के दायरे में ही होगी। आरक्षण पैटर्न में बदलने का अधिकार लोकसभा-राज्यसभा और अंत में राष्ट्रपतिकी स्वीकृति से होगा। – एडवोकेट बिहारी सिंह राठौड़
अब लगातार इस मामले में पेच पस्ता जा रहा है और भर्ती होगी या नहीं बेरोजगारों का ऊपर फिर से संकट के बादल लहराते हुए आरक्षण प्रक्रिया को लेकर फिर संकट में भर्ती
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