Latest Post

Rajasthan 4th grade bharti admit card Exam Schedule RSMSSB JTA Result 2025 Declared – Download Merit List RSMSSB Patwari Admit Card 2025 Download Now & Check Your Exam City Rajasthan Vidhansabha new Recruitment 2025 RSSB Lab Attendant Recruitment 2025 Apply Online Rajasthan vidyut vibhag Bharti 2025 1947 Post Rajasthan VDO Bharti 2025 850 Post RRB Technician Vacancy 2025 6180 Post Rajasthan High Court Group D Bharti 2025 5670 Posts Rajasthan High Court Driver Bharti 2025 Pre D.El.Ed 2025 Rajasthan Admission Process, College List & Date DLSA Pali Bhrati 2025 Apply Now Rajasthan bijali vibhag New Bharti 2025 How to Earn Money from PhonePe in 2025 – 7 Easy Methods RSMSSB Grade 4 Cut off 2025 Expected

दिवाली दो दिन, गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को हीः भाई दूज एक ही दिन 3 नवंबर को; 28 October एकादशी व्रत और गोवत्स द्वादशी पूजन

ज्योतिषाचार्यों के एकमत नहीं होने के कारण भले ही दिवाली दो दिन 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को मनाई जाएगी लेकिन गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को ही होगी। भाई दूज भी एक ही दिन 3 नवंबर को मनाया जाएगा

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया, ‘कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि पर व्रत करने के साथ माता लक्ष्मी की विशिष्ट साधना का आरंभ किया जा सकता है। यह निरंतर 5 दिन चलती है।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी सोमवार 28 अक्टूबर को है। तिथि के अनुक्रम में अंतर होने से इसी दिन मध्याह्न में द्वादशी तिथि रहेगी। यह गोवत्स द्वादशी कहलाती है। एकादशी का व्रत और गोवत्स का पूजन भी इसी दिन किया जाएगा।’

तिथि के कारण परिवर्तन भी संभव

पं. अमर डिब्बावाला ने कहा कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पांच पर्व विशेष माने जाते हैं। इनमें रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशी, धन्वंतरि जयंती (धनतेरस), रूप चौदस और दीपावली शामिल हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, तिथि की गड़बड़ के कारण इनमें परिवर्तन की संभावना भी बन जाती है।

दीपोत्सव की तिथियांसरकारी छुट्टियां
29/30 अक्टूबर धनवंतरि जयंती (धन तेरस)
30/31 अक्टूबर रूप चौदसगुरुवार, 31 अक्टूबर (दीपावली अवकाश)
31 अक्टूबर /1 नवंबर दीपावलीशुक्रवार, 1 नवंबर (स्थानीय अवकाश)
2 नवंबर- गोवर्धन पूजाशनिवार, 2 नवंबर (अवकाश)
3 नवंबर- भाई दूजरविवार, 3 नवंबर (भाई दूज अवकाश)

31 अक्टूबर की सुबह रूप चौदस, शाम को दिवाली

पं. अमर डिब्बेवाला ने कहा कि 31 अक्टूबर की सुबह रूप चौदस, शाम को दिवाली का पर्व काल रहेगा। कुछ पंचांगों में 1 नवंबर को दिवाली दर्शाई गई है। ऐसा स्थान और ज्योतिषीय गणित के अंतर की वजह से है। शास्त्रीय अभिमत की कुल गणना करें तो 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाना शास्त्र सम्मत है।

उन्होंने कहा कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और राजस्थान के ज्योतिष विभाग के जानकारों का भी मत 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने का है।

धनतेरस पर भौम प्रदोष का संयोग

पं. डिब्बेवाला ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष इस बार मंगलवार के दिन है, यह भौम प्रदोष के नाम से जानी जाती है। इसी दिन त्रयोदशी का भी प्रभाव रहने से धनवंतरि जयंती (धनतेरस) का त्योहार भी रहेगा। मृत्यु के देवता यम को दीपदान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक करने का विधान है। लेकिन एकादशी से अमावस्या तक भी इसे किया जा सकता है।

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से पूर्णिमा तक एक महीने लगातार शाम को प्रदोष काल में छत पर दीपक जलाना चाहिए। यह अकाल मृत्यु को टालता है। वहीं, आर्थिक प्रगति के लिए कुबेर और अष्टविध लक्ष्मी की पूजा की जाती है। छत पर अष्टदल बनाकर इसके बीच में तिल के तेल का दीपक लगाकर तीनों का पूजन करना चाहिए।

दीपावली मनाने के तर्क

  1. काशी और उज्जैन के ज्योतिषियों का कहना है कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को लक्ष्मी पूजन का विधान नहीं, इसलिए दीपावली 31 अक्टूबर को मनानी चाहिए।
  2. 31 तारीख को अमावस्या तिथि शाम 4 बजे शुरू हो जाएगी और अगले दिन शाम 6 बजे तक रहेगी। 31 को ही अमावस्या का संध्या काल (प्रदोष काल) है और रात में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त है
  3. लक्ष्मी पूजन करने का श्रेष्ठ समय अमावस्या की रात में ही रहता है, इस कारण 31 की रात लक्ष्मी पूजन करना चाहिए।
  4. तीज-त्योहार तय करने वाले निर्णय सिंधु और धर्म सिंधु ग्रंथ के मुताबिक, जिस दिन प्रदोष काल (संध्या काल) और रात्रि में अमावस्या हो, तब दीपदान और लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। ऐसा 31 अक्टूबर को ही हो रहा है।

29 अक्टूबर को धनतेरस

इस दिन भगवान धन्वंतरि की जयंती भी मनाते हैं।

धनतेरस की रात में यमराज के लिए दीपक जलाने की परंपरा है

धनतेरस पर देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। धनतेरस पर नए बर्तन भी खरीदते हैं।

30 अक्टूबर को रूप चौदस

रूप चौदस को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इसी वजह से इस पर्व को नरक चतुर्दशी कहते हैं।

रूप चौदस पर उबटन लगाकर स्नान करने की परंपरा है

31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा

मान्यता है कि देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था और इस मंथन से कार्तिक अमावस्या पर देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। देवी ने भगवान विष्णु का वरण किया था। इस वजह से इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है।

दीपावली की रात भगवान गणेश, महालक्ष्मी, भगवान विष्णु के साथ शिव, देवी सरस्वती, कुबेर देव की भी पूजा करें।

1 नवंबर को स्नान-दान की कार्तिक अमावस्या

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य करना चाहिए। दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान भी करें

इस दिन शाम करीब 6 बजे कार्तिक अमावस्या तिथि खत्म हो जाएगी और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि शुरू होगी।

2 नवंबर को गोवर्धन पूजा

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा है।

द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने ब्रज के लोगों से कहा था कि हमें कंस की नहीं, गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। तब से ही इस पर्वत की पूजा की जा रही है।

टेलीग्राम चैनल से जुड़े : क्लिक करें

#दीपावाली #गोवर्धनपूजा #लक्ष्मीपूजा #धनतेरस #रूपचौदस

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *